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जेपी नड्डा ने कहा…. अमेरिका के WHO से बाहर होने का भारत की स्वास्थ्य योजनाओं पर असर नहीं

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने मंगलवार को कहा कि अमेरिका के विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) से बाहर होने की घोषणा का भारत में इस वैश्विक एजेंसी के साथ चल रही परियोजनाओं पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

भारत डब्ल्यूएचओ के प्रमुख योगदानकर्ताओं में से एक
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के तहत पिछले 10 वर्षों में हुई प्रगति पर एक प्रेस कान्फ्रेंस के दौरान नड्डा ने कहा कि हमारी परियोजनाएं और अभियान जारी रहेंगे। जहां तक स्वास्थ्य का सवाल है तो हम किसी पर निर्भर नहीं हैं। कई परियोजनाएं हैं जहां डब्ल्यूएचओ हमारे साथ साझेदारी करता है और इसमें कोई बाधा नहीं आएगी। भारत डब्ल्यूएचओ के प्रमुख योगदानकर्ताओं में से एक है।

स्वास्थ्य एक प्राथमिकता वाला क्षेत्र- नड्डा
एनएचएम के तहत पिछले 10 वर्षों में हुई उपलब्धियों को गिनाते हुए नड्डा ने कहा कि कुछ नई पहलें जैसे राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया मिशन और प्रधानमंत्री राष्ट्रीय डायलिसिस कार्यक्रम (पीएमएनडीपी) 2014 के बाद जोड़ी गईं जबकि कई अन्य पहलों को फिर से शुरू किया गया है जैसे राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम, मिशन इंद्रधनुष आदि।

उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य एक प्राथमिकता वाला क्षेत्र है और इसमें कभी वित्तीय कमी आड़े नहीं आई है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत केंद्रीय अनुदान में 2014 से 185 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।

WHO के साथ कोई काम नहीं करेगा अमेरिका
अमेरिका के राष्ट्रपति बनने के बाद ट्रंप ने कई बड़े फैसले लिए हैं जिनमें एक फैसला विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के साथ काम बंद करना है। अमेरिका के रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्रों के कर्मचारियों को सोमवार को ट्रंप ऑफिस द्वारा विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ सभी तरह के काम बंद करने का आदेश दिया गया है और डब्ल्यूएचओ से अपने कर्मचारी वापस बुलाने को भी कहा गया है।

कर्मचारियों को लौटने का आदेश जारी
कई संघीय स्वास्थ्य अधिकारियों ने सीबीएस न्यूज से इस बात की पुष्टि की। एक अधिकारी ने कहा, आदेश को लागू करने के लिए सीडीसी के वैश्विक स्वास्थ्य के उप निदेशक जॉन एनकेंगसॉन्ग ने सोमवार को एक ईमेल में जारी किया था जिसमें कहा गया था कि डब्ल्यूएचओ के साथ जुड़ने वाले सभी सीडीसी कर्मचारियों को अपनी गतिविधि बंद करनी होगी और आगे के मार्गदर्शन का इंतजार करना होगा। ईमेल में कहा गया है कि डब्ल्यूएचओ के लिए काम करने के लिए नियुक्त सीडीसी कर्मचारियों को भी कार्यालय में नहीं आने के लिए कहा जा रहा है।

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