मध्यप्रदेशराज्य

दो बिजली कंपनियों की वजह से लग रहा है बिलों में फटका

भोपाल । तमाम प्रयासों के बाद भी प्रदेश की बिजली कंपनियां अपना घाटा समाप्त नहीं कर पा रही हैं। इस घाटे की सबसे बड़ी वजह है बिजली का चोरी होना। इस पर लगाम लगाने में बिजली कंपनियां लगातार असफल साबित हो रही हैं।  इसकी वजह से बिजली का  लाइन लॉस कम ही नहीं हो पा रहा है। अगर प्रदेश की तीनों कंपनियों को देखें तो, सर्वाधिक घाटे में पश्चिम क्षेत्र विद्युत कंपनी है। इस घाटे की भरपाई बिजली कंपनियों द्वारा टैरिफ बढ़ाकर ईमानदार उपभोक्ताओं से वसूली कर की जाती है। इसी के चलते वितरण कंपनियों ने टैरिफ बढ़ाने की याचिका दायर की है। नए टैरिफ में कृषि, ग्राम पंचायत और नगर-निगम को मिलने वाली बिजली भी महंगी करने का प्रस्ताव है। गौरतलब है कि तीनों बिजली कंपनियों ने वित्तीय वर्ष 2025-26 में 4 हजार करोड़ से अधिक के घाटे का अनुमान लगाया है। इसी की भरपाई के लिए 7.52 फीसदी टैरिफ में इजाफा करने की मांग की है। पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी का घाटा 1618 करोड़ है और मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी का घाटा 1372 करोड़ है। वहीं पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी का घाटा 1117 करोड़ का है। कंपनियों ने कृषि के टैरिफ को 6 रुपए यूनिट करने का प्रस्ताव दिया है। इससे छोटे किसानों को नुकसान होगा। नए टैरिफ प्रस्ताव में 300 यूनिट तक बिजली जलाने वाले उपभोक्ताओं से 6 रुपए प्रति यूनिट और 300 से 750 यूनिट बिजली जलाने वालों से भी 6 रुपए प्रति यूनिट लिए जाने का प्रस्ताव है। पहले 300 यूनिट तक बिजली जलाने वाले कृषि मीटर से 4.89 रुपए प्रति यूनिट लिया जाता था। वहीं 300 से 750 यूनिट बिजली जलाने वालों से 5.92 प्रति यूनिट बिल वसूला जाता था। अब कम बिजली खपत वाले कृषि उपभोक्ताओं से भी 6 रुपए यूनिट बिजली बिल लिया जाएगा। इससे छोटे कृषि उपभोक्ताओं के लिए बिजली महंगी हो जाएगी।

बीते साल था दो हजार करोड़ का घाटा
पिछले साल चुनावी वर्ष होने की वजह से बिजली के टैरिफ में मामूली इजाफा हुआ था। बिजली कंपनियों ने 2 हजार करोड़ से अधिक का घाटा बताते हुए टैरिफ में 3.86 फीसदी इजाफा करने की मांग की थी। आयोग ने टैरिफ में 0.7 फीसदी का इजाफा किया था। इससे बिजली उपभोक्ताओं के बिल पर ज्यादा असर नहीं हुआ था। इस बार बिजली कंपनियों ने 7.52 फीसदी तक बिजली महंगी करने की तैयारी कर ली है। इससे बिजली उपभोक्ताओं के बिल पर असर पडऩा तय है।

Related Articles

Back to top button